Friday, March 26, 2010

शून्य से शिखर


यह न तो साहित्यिक कृति है और न ही उस किस्म की पुस्तक, जिनके शीर्षक होते हैं? - 'कैसे हो सफल' या 'कैसे बने अमीर' । यह पुस्तक उन भारतीय कार्पोरेट्स की कहानी दोहराती है, जो वास्तविक जीवन में शून्य से शिखर पर पहुँचें हैं। सही समय पर सही जोखिम उठाने वाले इस पुस्तक के नायक उद्यमशीलता का सबक सिखाते है और कहते हैं कि धन कमाना बुराई नहीं है। इनका अनुकरण करके ही हम देश के नये राष्ट्रनायक श्री ए. पी. जे. अब्दुल का विकसित राष्ट्र का 'विज़न 2020' पूरा कर सकते हैं।

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